BOOND-BOOND HO GAYE SAMUDRA TUM | बुंद बुंद हो गये समुद्र तुम, By Meera Chandra Meera Chandra(Hardcover, Hindi, Meera chandra) | Zipri.in
BOOND-BOOND HO GAYE SAMUDRA TUM | बुंद बुंद हो गये समुद्र तुम, By Meera Chandra Meera Chandra(Hardcover, Hindi, Meera chandra)

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आज तक मैंने स्वयं न मालूम कितने अनगिनत अनुवाद पढ़े हैं। बाँग्ला साहित्य से मेरा परिचय अनुवाद द्वारा ही हुआ। शरदचन्द, बंकिमचन्द, विमल मित्र, शंकर, तस्लीमा नसरीन, विश्वगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को पढ़ा और बाँग्ला साहित्य का आनन्द लिया। माधवी कुट्टी, एम. टी. वासुदेवन नायर, वी. शंकर कुरूप, शिव शंकर पिल्लै, तकशी, ओ. वी. विजयन, एम. मुकुन्दन, सारा रॉय को अनुवाद के माध्यम से ही जाना-समझा। यदि किसी ने अनुवाद न किया होता तो न जाने मुझ जैसे कितने लोग मलयालम साहित्य की निधि से अपरिचित रह जाते। किसी ने अनुवाद न किया होता तो गोर्की की 'माँÓ से मेरा परिचय कैसे होता? गोर्की की 'माँÓ से मैं इतनी अधिक प्रभावित हुई थी कि इसे मैंने जबरदस्ती अपनी छोटी बहन को दिया। वह पढऩे में रुचि नहीं रखती थी। मेरे जबरदस्ती करने पर उसने पढऩा शुरू किया और मुझे यह जान-देखकर आश्चर्य हुआ कि शुरू करके उसने इसे छोड़ा नहीं बल्कि पूरी किताब पढ़ी। वह अभिभूत और उद्वेलित थी इसे पढ़कर।